सुरखी की बिसात पर सियासत की बाजी, भाजपा बनाम कांग्रेस, कौन किस पर भारी..?

कहते हैं शतरंज और सियासत का खेल एक जैसा ही होता है। जैसे शतरंज में राजा, वजीर, हाथी, घोड़ा, ऊंट और प्यादो से लड़ाई लड़ी जाती है वैसे ही सियासत में गोटिया सेट की जाती है।

हम बात करते हैं 2023 के विधानसभा चुनावी मुकाबले की । सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा की ओर से लगभग पूरी गोटिया सेट की जा चुकी। भाजपा की ओर से कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का राजा का स्थान लेना लगभग तय है। अगर गोविंद सिंह राजपूत को राजा की जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो उनके मजिलें भाई हीरा सिंह राजपूत वजीर की भूमिका में ऑल राउंडर मार करते नजर आएंगे। बड़े भाई गुलाब सिंह राजपूत और कमलेश बघेल घोड़ा की भूमिका में रहकर ढाई घर धमाचौकड़ी मचाते देखे जाएंगे। मंत्री जी के सुपुत्र आकाश से और भतीजे मूरत सिंह  हाथी की तरह दुश्मन को रौंदने का माद्दा रखते हैं। ऊंट की भूमिका में उनके भतीजे टिंकू राजा और भोले राजा इस कार्य को करने में महारत हासिल किए हुए हैं। रही बात प्यादों की तो क्षेत्र में इनकी कमी नहीं है। सरल भाषा में कहें तो गोविंद सिंह राजपूत का पूरा परिवार 2023 की जंग में कूंदने के लिए तैयार बैठा है।

अब बात करते हैं दूसरे खिलाड़ी यानी कांग्रेस की। कांग्रेस की ओर से अभी राजा की तलाश जारी है। इस दौड़ में लगभग एक दर्जन कांग्रेसी नेता और तीन भाजपा नेता बताए जा रहे हैं। कांग्रेसियों में पूर्व मंत्री प्रभु सिंह ठाकुर, पूर्व विधायक पारुल साहू, डॉ वीरेंद्र सिंह लोधी, मोती पटेल, राहुल गर्ग  प्रमिला सिंह राजपूत, प्रहलाद पटेल (कुर्मी) विनोद यादव, अशोक कुशवाहा, निधि सुनील जैन, बुंदेल सिंह बुंदेला, विजय सिंह लोधी, भूपेंद्र सिंह मोहासा के नाम शामिल हैं। वहीं राजकुमार धनोरा सहित दो अन्य भाजपा नेता कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए उतावले नजर आ रहे है। 

राजकुमार धनोरा के उत्साह को देखते हुए लगता है कि अगर वे चंद्रगुप्त मौर्य की भूमिका में नहीं आ पाए तो वह वजीर की भूमिका अवश्य निभाएंगे।

पिछड़ा वर्ग संगठन से डॉ वीरेंद्र सिंह लोधी, विजय सिंह लोधी, मोती पटेल, अशोक कुशवाहा, प्रहलाद पटेल कुर्मी और विनोद यादव अनिल सोनी, अपनी- अपनी जातियों के वोट बैंक को साधने में सक्रिय हो गए हैं तो राहुल गर्ग और  प्रभुदयाल मिश्रा ब्राह्मण समाज की बोट को साध रहे हैं। वहीं कांग्रेस कमेटी के जिला अध्यक्ष डॉ आनंद अहिरवार दलित वोट को कांग्रेस के पक्ष में कराने की योजना पर काम कर रहे हैं। बिलहरा से अंसार खान और राहतगढ़ से मुन्ना खान नेता मुस्लिम वोट को संगठित कर सत प्रतिशत कांग्रेस के पक्ष में लाने का काम कर रहे हैं। बाकी उपरोक्त सभी नेता भी अपनी अपनी जाति के लोगों से मिलकर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना रहे हैं।

अगर हम "सौ बात की एक बात" कहे तो एक तरफ मजबूती से संगठित गोविंद सिंह राजपूत का परिवार तो दूसरी तरफ कांग्रेसियों का जोश बताता है कि मुकाबला बराबरी का एवं रोचक होगा।


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